Sunday, June 28, 2015
'मेरे जौहरी..'
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"न आऊँ यहाँ..तो बेचैन हो जाते हैं..
जाने कितने पीर-बाबाओं के चक्कर लगाते हैं..
कितनी ही बार मोबाइल चैक करते हैं..और जो हैंग हो जाये अपनी 'रैम' के कारण..तो बस..'रीस्टार्ट सैशन'..
मन की बारिश में तन सूखा..और जिस्म नीलाम होने को उतारू.. मेरे जौहरी हो तुम..याद है न..??"
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--शुक्रिया #जां.. बेहिसाब रतजगे और एक टाइट हग.. <3 <3
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/28/2015 11:59:00 AM
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रूमानियत..
Friday, June 19, 2015
'गले..'
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"हम कैसे करें भरोसा..
कभी गले मिलें तो जानें..
साँसों से पूछेंगे..
शराफ़त का मीटर..
कितना है चलता..
सिर्फ़ राईट-लैफ्ट..
या..
दम भी है घुटता..!!"
...
--थोड़ी-सी शैतानी.. ;)
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/19/2015 12:01:00 PM
4
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बेबाक हरारत..
'अनछुआ तिलिस्म..'
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"तेरी यादों की कशिश..
वो अनछुआ तिलिस्म..
मेरी नाराज़गी..
गिरफ़्त तरसती बाँहें..
आना ही था..
इस सफ़ेद चादर को..
दरमियाँ जो..
अलाव हैं..
अधजले..
अधूरे हैं..
रतजगे..
अधपकी हैं..
ख़्वाहिशें..
तुम आओ तो..
दिल खिले..
मौसम ढले..
इश्क़ पले..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/19/2015 11:39:00 AM
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रूमानियत..
Wednesday, June 17, 2015
'रूह की शिद्दत..'
#जां
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"मेरे प्रिय..मेरे बहुत प्रिय..मेरे सबसे प्रिय..
वक़्त कितना ही मज़बूत जाल बिछाए..आपका और मेरा सामीप्य गहरा रहेगा..
दुश्वारियां बेशुमार आयें दरमियाँ..आपका और मेरा गठबंधन महकता रहेगा..
बैरी हो ज़माना चाहे जितना..आपका और मेरा प्रेम अनिवार्य रहेगा..!!
आप लिखते रहिएगा..मैं पढ़ती रहूँगी..
आप दिल धड़काते रहियेगा..मैं चलती रहूँगी..
आप थामे रहिएगा..मैं बहती चलूँगी..!!
शर्तों से प्यार नहीं..प्यार से शर्त है..
चट्टान-सा अटल है..लक्ष्य मेरा..
मखमल-सा कोमल है..राग मेरा..
गिरफ़्त-सा विराट है..ह्रदय मेरा..!!
जाने कितनी रचनाओं का समागम है..इस एक जज़्बात में..
आप मुझे प्रिय हैं..बहुत प्रिय..सबसे प्रिय..
चलिए न..इस दफ़ा अनुबंध में सिमट जाएँ..
मैं लिखूँ पत्र पोर से..लिखाई आईना हो जाए..!!
रूह की शिद्दत..
फ़र्ज़ का क़ायदा..
मोहब्बत का जाम..
ज़िंदाबाद..ज़िंदाबाद..!!"
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--मेरी तन्हाई के सौदागर..बोसा स्वीकारें..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/17/2015 11:08:00 AM
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रूमानियत..
Sunday, June 14, 2015
'माँ..'
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"संदर्भ था..माँ का..
साज़ था..माँ का..
अंतर्मन-रेखाओं पे..
पट्टा था..माँ का..
प्रतीक्षारत पौधे को..
नाज़ था..माँ का..
कोमल-डोर सींचने में..
दाम था..माँ का..
इन्द्रधनुषी छतरी को..
भरोसा था..माँ का..
चरित्र-निर्माण में..
ताप था..माँ का..
जटिल जीवन-अंक में..
सामीप्य था..माँ का..
काल-चक्र छाँव में..
स्नेह था..माँ का..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/14/2015 12:01:00 PM
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माँ..
'अलाव का कारोबार..'
#जां
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"तुम आजकल हमारे पर्सनल टाइम पर मिलते ही नहीं.. देखो ज़रा..सबसे छुप के सोने का ड्रामा करता हूँ..दिल की धड़कनों को निगाहों में दबाये रखता हूँ..
तुम जानते हो न..मेरे दिल का कनेक्शन आँखों से है..तुम जब-जब मिस करते हो न..मिलना हमारा..ये ज़ालिम आँखें जाने तकिये के कितने रेशों को कलरफुल और नमकीं बना देतीं हैं..!!
और तो और..आजकल उस वाईब्रेट ऑप्शन को हटा रिंगटोन वाला ऑप्शन कर दिया है..!!
पक्का..आज से तुम्हारा एक भी कॉल मिस नहीं करूँगा.. तुम आओ तो..LHS कबसे तड़प रहा है..हाँ..हाँ..तुम्हारा LHS..wink emoticon
अच्छा बाबा..नो मोर जोक्स..!!
सुनो न..पोर तुम्हें महसूस करना चाहते हैं..अलाव को भी अपना कारोबार चलाना है..
कुछ तो रहम करो..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/14/2015 11:33:00 AM
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हल्का-फुल्का..
'राज़ दे दो..'
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"तस्वीर को साज़ दे दो..
ज़ुल्फ़ों को आगाज़ दे दो..१..
जो जहाँ है..वो वहाँ रहे..
वाईज़ को राज़ दे दो..२..
लिखता नहीं..शामो-सहर..
लफ़्ज़ों को ताज दे दो..3..
तारे..महताब..मचल रहे..
चाँदनी को लाज दे दो..४..
मुमकिन है..मोहब्बत अपनी..
साँसों को काज़ दे दो..५..!!"
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--वीकेंड जाने का ग़म..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/14/2015 10:34:00 AM
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हल्का-फुल्का..
Tuesday, June 9, 2015
'डेटा-कंज़म्शन..'
#जां
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"12 MB मुझसे ज्यादा प्यारे हो रहे हैं..
यूसेज कैटेगराईज़..हमारे-तुम्हारे हो रहे हैं..
डेटा कार्ड का मोह कैसा..देखिये जानिब..
मैसेजेस सैंटी-वाले भी गवारे हो रहे हैं..
इंतिहान-ए-ज़ालिमगिरि..#जां से सीखें..
मोहब्बत वाले सौदे..सस्ते सारे हो रहे हैं..
क़िस्सागोई कहाँ भेजूँ..तू ही बता..ज़रा..
आजकल रोमैंटिक अल्फ़ाज़ किनारे हो रहे हैं..
बही-खाता निकलता 'डेटा-कंज़म्शन'..हर घंटे..
टेलिकॉम कंपनियों के प्लान्स..खारे हो रहे हैं..!!"
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--इंटरनेट डेटा के मियाद वाले ऑप्शनज़..और उनसे उपजी नेशनल दर्द की कहानी.
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/09/2015 03:31:00 AM
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हल्का-फुल्का..
Tuesday, June 2, 2015
'प्रेम के बेसुध पैमाने..'
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"तेरे लफ़्ज़ों का जाम..
पीता हूँ..
हर रोज़..
कभी तिलिस्म..
कभी रूह..
कभी सूफ़ी..
कभी गुफ़्तगू..
नज़र के फेरे..
जिस्मों के डेरे..
नोट्स पुराने..
थॉट्स दीवाने..
ब्लैक कॉफ़ी..
ग़ालिब..इंशा..
जौक..नुसरत..
औ'..
नॉन-स्टॉप म्यूजिक..
रंगरेज़ मेरे..
रंग दे..
मेरी पुअर वोकैब..
स्याह रातें..
औ'..
प्रेम के बेसुध पैमाने..!!"
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--लव यू..#सनम
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/02/2015 11:53:00 AM
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