Wednesday, August 5, 2015

'सींचते रहना..'







‪#‎जां‬

...

"जाने आपसे..
क्यूँ..
कब..
कहाँ..
कैसे..
जुड़ गयी..

उस बैड पैच के कारण..
या..
लेट नाईट..
स्मूथ कम्फर्टज़ के कारण..

उस टाईट हग़ के कारण..
या..
दिल की धड़कनों को..
ज़िंदा करने के कारण..
मेरे इंस्पिरेशन तुम ही हो..
चाहे..

शब्दों के खेल में..
या..
वाकिंग ट्रैक की रेल में..

आई लव यू द मोस्ट..
जानते हैं..
आप..

मुझे मुझसे बेहतर..
जानते हैं..
आप..

मेरी हर गलती पे..
डाँटते हैं..
आप..

फ़िर भी..
हर शब..
सुलाते हैं..

आप..
जाने कौनसा रूप..
कब प्यार करता है..
कब सर सहलाता है..
कब हिम्मत बंधाता है..
कब लक्ष्य दिखाता है..
कब भर-भर रुलाता है..
कब दर्द अपना छुपाता है..

मुझे मोहब्बत है..
बेइंतिहां..
न कहूँ कभी..

समझ लेना..
सुनना चाहती हूँ..
तुम्हें..
तुम्हारी बाँहों मे..

सींचते रहना..
रूह..
गोलार्द्ध..
और..
.......!!"


...
--‪#‎अदाएँ‬ प्रेम वाली..

5 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6-8-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2059 में दिया जाएगा
धन्यवाद

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक आभार..दिलबाग विर्क जी..!!

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक धन्यवाद..डॉ. शरद सिंह साहिबा जी..!!

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर