Monday, November 30, 2015
'गिलाफ़ देह वाले..'
...
"पल-पल संवरते..
कुछ आबाद लम्हें..
शबनमी साँसें..
रूहानी रूह..
नमकीं सौगात..
शब-भर..
रेशमी बाँहें..
दिन भर वो ज़ालिम हैंगओवर..
इतिहास मानिंद हमारा भूगोल..
तह खोलता-बांधता..
मौसम का राग..
गिलाफ़ देह वाले..
उतार दें..
चल आज..!!"
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रूमानियत..
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