Tuesday, November 17, 2015

'तड़पते एहसास..'








...

"साज़िशों की देह..
कुछ सीक्रेट्स की फ़तेह

बिरही राग होंठ लगे..
कुछ तनहा रतजगे..

अंतस की कलाई..
कुछ नमक-ए-वफ़ाई..

चाँद की तन्हाई..
कोई ग़मगीन रुबाई..

उदासी के ज़ज़ीरे..
कुछ सुर्ख लकीरें..

एडजस्टमैंट का सुरूर..
उजले दिन का गुरूर..

तड़पते एहसास..
कच्चे टुकड़े..आत्मा वाले..!!"

...

--तपती रही..साल भर..तुम लरजते रहे..

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Rishabh Shukla said...

सुन्दर रचना ..........बधाई |
आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #चलोसियासतकरआये पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/chalo-siyasat-kar-aaye.html

priyankaabhilaashi said...

हार्दिक आभार..रुषभ शुक्ला जी..!