Wednesday, March 30, 2016
'सितारों के दामन..'
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"दफ़न होने को बेक़रार बैठी हूँ..
मय्यत पे अपनी..बेज़ार बैठी हूँ..
चाहा था..बेहिसाब बेख़ौफ़..तुझे..
साया-ए-उम्मीद..हार बैठी हूँ..
फ़िक्र न करना..ए-हमजलीस..
गिलाफ़-ए-रूह..मार बैठी हूँ..
करो रुकसत..ख्वाहिश-ए-सुकून..
सितारों के दामन..उतार बैठी हूँ..!!"
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--प्रिय मित्र की विदाई पे..उठते भाव कई.. वो कह गए, हम लिखते अच्छा हैं..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/30/2016 11:30:00 AM
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...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Monday, March 28, 2016
'क़ातिल आशिक़..'
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"हाथ की लकीरों पे..
खुदा इक नाम था..
जाने ता-उम्र तलाश को..
आया कैसे आराम था..
तुम आये थे क़रीब..
इतना ज़्यादा..
निहारता-संवारता चला..
किस्मत का प्यादा..
नुमाइश-ए-ज़िन्दगी..
गुमनाम आवारा-सा मैं..
फ़लसफ़ा मिला ऐसा..
क़ातिल आशिक़-सा मैं..
आगोश गहराओ..
जलाओ..के बुझाओ..
चिंगारी सुलगाओ..
आओ..और क़रीब आओ..!!"
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--रंग-ए-बिसात-ए-इश्क़..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/28/2016 11:27:00 AM
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रूमानियत..
Friday, March 25, 2016
'चाहत के जुर्माने..'
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"रूह पे चला दे..
तेरे कॉम्पस का..
पॉइंटेड पॉइंट..
खेंच मनमर्ज़ी से..
छोटे-बड़े..
बेहिसाब सर्कल्स..
सहने दे ज़ख्म..
हल्के-गहरे..
सुबहो-शाम..
लिखे थे जो..
वस्ल-ए-रात..
मेरे नाम..!!"
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--चाहत के जुर्माने..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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3/25/2016 12:55:00 PM
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बेज़ुबां ज़ख्म..