Thursday, December 31, 2009

अजीब फ़रमान..



...


"खुद ना कर पाए..दूसरों से उलझते हैं..
जाने किस कश्ती की..राह में उछलते हैं..१

चाँदनी के प्याले से झाँकते रहे..लम्हे..
यादों से लड़ते हुए..आँख में मचलते हैं..२

सुराही रंगों में डूबी..रखी थी सिरहाने..
बेवज़ह..जवां लफ़्ज़ों से चादर बदलते हैं..३

गुज़ारिश माज़ी की..बारिश में आफ़ताब..
अजीब फ़रमान..आह..रूह से फिसलते हैं..४..!"

...

9 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

विनोद कुमार पांडेय said...

बढ़िया रचना..नये साल की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया!!


वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 27/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद विनोद कुमार पाण्डेय जी..

इतनी देरी के लिए बहुत बड़ी वाली क्षमा चाहती हूँ..

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी समीर साब..!!

देरी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ..

priyankaabhilaashi said...


धन्यवाद यशवंत जी..

सादर आभार..इतनी पुरानी रचना को सबके समक्ष लाने का बहुत-बहुत धन्यवाद..!!

Bhavana Lalwani said...

bahut achha likha hai .. mujhe apna ek purana essay yaad aa gaya

Nidhi Mathur said...
This comment has been removed by the author.
विभूति" said...

बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति......