Wednesday, March 31, 2010
''प्याला-ए-उल्फत..'
...
"एक मुद्दत बाद..
ख्याल आया..
देखा है..
चाँद को करीब से..
खुदा कुछ हिचकिचाया..
जुल्फें रंगीली..
निगाहें नशीली..
क्या ऐसा है..
कायनात का..
सबसे हसीं फ़रिश्ता..
लबों से महके हैं गुल..
नजाकत से सरोबर..
आह..
प्याला-ए-उल्फत..!"
...
Labels:
रूमानियत..
7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
प्याला ए उल्फत
खूबसूरत एहसास और भाव
kya ulfat he pyar ki
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत खूब ।
धन्यवाद वर्मा जी..!!
धन्यवाद शेखर जी..!!
धन्यवाद दीपायन जी..!!
मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
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