Monday, November 28, 2011
'मायावी आडम्बर..'
...
"बहुत शोषण हुआ..
अंतर्मन चीर-हरण हुआ..
रात्री के पहले पहर..
सामाजिक परिवेश में..
कितने स्वप्नों का काल हुआ..
मुखौटे पहन दंभ दिखाते..
संबंधो के ठेकेदार..
कोमल पुष्पों का त्रास हुआ..
कितना विचित्र..
मायावी आडम्बर..!"
...
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
Aadambar..Mayavi Aadambar
Sundar Rachna
www.poeticprakash.com
सारी दुनियादारी इन्हीं आडम्बरों पर ही चलती है
कितना विचित्र
मायावी आडम्बर..
वाह! सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
आडम्बर पर घात करती.
धन्यवाद प्रकाश जैन जी..!!!
Post a Comment