बेहतरीन ।
जो सफ़ेद उदासी की धुंध से भरी हैं...ऐसी राहों को जब छोड़ दिया है...तो,पलट कर क्या देखना?
दी..."छोड़ सकती नहीं..ज़मीनी हकीकत..फितरत बदलती नहीं..इंसान की कभी..!!!"...
धन्यवाद सदा जी..!!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!चर्चा मंच में शामिल होकर चर्चा को समृद्ध बनाएं....
wah!!1Bahut khub...www.poeticprakash.com
सुन्दर/सच्ची कहा...सादर...
bahut khoob umda sher.
धन्यवाद अतुल श्रीवास्तव जी..!!
धन्यवाद प्रकाश जैन जी..!!
धन्यवाद संजय मिश्रा 'हबीब' जी..!!
धन्यवाद शेफाली जी..!!
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बेहतरीन ।
जो सफ़ेद उदासी की धुंध से भरी हैं...ऐसी राहों को जब छोड़ दिया है...तो,पलट कर क्या देखना?
दी...
"छोड़ सकती नहीं..
ज़मीनी हकीकत..
फितरत बदलती नहीं..
इंसान की कभी..!!!"
...
धन्यवाद सदा जी..!!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!चर्चा मंच में शामिल होकर चर्चा को समृद्ध बनाएं....
wah!!1
Bahut khub...
www.poeticprakash.com
सुन्दर/सच्ची कहा...
सादर...
bahut khoob umda sher.
धन्यवाद अतुल श्रीवास्तव जी..!!
धन्यवाद प्रकाश जैन जी..!!
धन्यवाद संजय मिश्रा 'हबीब' जी..!!
धन्यवाद शेफाली जी..!!
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