Tuesday, December 6, 2011

'ज़र्रा-ज़र्रा..'



...


"ज़र्रा-ज़र्रा बिक रहा था ईमां..
रेज़ा-रेज़ा लूटा रहा था वफ़ा..

अजीब है..दास्तान-ए-गलियारे-ए-सियासत..!!!"

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9 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

shephali said...

बहुत खुबसूरत

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छा लिखा है ..

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर प्रविष्टि...बधाई

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-722:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

Atul Shrivastava said...

सुंदर.....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेफाली जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद चन्द्र भूषण मिश्र 'गाफिल' जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिलबाग विर्क जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अतुल श्रीवास्तव जी..!!