Wednesday, December 28, 2011

'वादा..'




...


"ख्वाइश थी..
ना गुलज़ार हो..
आँगन कभी..

वादा निभा आया हूँ..
आज फिर..
खुद को बेच आया हूँ..!!!


...

8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Nidhi said...

ख्वाहिशें...दिल फरेब ख्वाहिशें !!

Sunil Kumar said...

बहुत खूब ...

Rohit Singh said...

बढ़िया है आज के जमाने मे वादे भी तो लोग नहीं निभाते....आपने निभाया तो....बाकी ख्वाहिशों का क्या करें....पलने ही लगती हैं..कहीं न कहीं...

M VERMA said...

बहुत खूब

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुनील कुमार जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद बोले तो बिंदास जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद एम वर्मा जी..!!