Friday, January 6, 2012

'चाँद..'



...


"ऊँगलियों के पोरों पर छाले पड़ गये..
जिद थी..
चाँद की तनहा परत..
मैं ही बाँटू..!!!


...

8 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब!!

Anonymous said...

wah wah wah kya bat hain
mere blog par bhi aaiyega
umeed kara hun aapko pasand aayega
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/

संजय भास्‍कर said...

उम्दा सोच
भावमय करते शब्‍दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।

vidya said...

वाह..वाह....वाह...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद यशवंत माथुर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अतुल श्रीवास्तव जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद चिराग जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद कैलाश शर्मा जी..!!