Wednesday, May 2, 2012

'साहिल..'

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"शर्मिंदा होतीं हूँ हर सुबह..
रात भर साथ ना दे पाने को..
क्या काबिल है मेरा काफिला..
साहिल पे डूब जाने को..!!!"

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2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आज चार दिनों बाद नेट पर आना हुआ है। अतः केवल उपस्थिति ही दर्ज करा रहा हूँ!

नीलांश said...

v good