बहुत ख़ूब वाह!आप शायद इसे पसन्द करें-ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!
खिलेगा 'आफ़ताब' सारी रात 'आफ़ताब' !? वाऽह ! क्या बात है ! आदरणीया प्रियंकाभिलाषी जी बहुत खूब ! नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित… राजेन्द्र स्वर्णकार
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बहुत ख़ूब वाह!
आप शायद इसे पसन्द करें-
ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!
खिलेगा 'आफ़ताब' सारी रात
'आफ़ताब' !?
वाऽह ! क्या बात है !
आदरणीया प्रियंकाभिलाषी जी
बहुत खूब !
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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