Tuesday, December 25, 2012

'आफ़ताब..'





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"आयेगा ज़मीन पे चाँद..
खिलेगा आफ़ताब सारी रात..

आँगन खिला है..टेसुओं से..!!"

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2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब वाह!

आप शायद इसे पसन्द करें-
ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...



खिलेगा 'आफ़ताब' सारी रात
'आफ़ताब' !?
वाऽह ! क्या बात है !
आदरणीया प्रियंकाभिलाषी जी

बहुत खूब !

नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार