
...
"राजधानी की यात्रा..
पहला पड़ाव हमारे प्रेम का..
याद है न..??
कल फिर से जा रही हूँ..
स्मृतियों को मिटाने..
चिपकी हैं जाने कबसे..
मीलों दौड़ती सडकों की रोड़ी पर..
सुगंध छुड़ाने..
फैली है जो..
हर वृक्ष की छाल में..
रंग बिसराने..
रमे हैं जो..
नीले आकाश पर..
भूल आऊँगी..
बहा आऊँगी..
अंतर्मन की नीव..
शेष कहाँ मेरा जीव..!!"
...
--- सितम्बर २०११.. याद है न आपको..