Friday, May 17, 2013
'दूरियां..'
...
"कुछ तीस दिन गुज़र गए..ना जाने कितनी सदियाँ बीत गयीं..तुम नहीं आये..!!! किस ज़ुर्म की सज़ा पा रही हूँ..नहीं जानती.. रेज़ा-रेज़ा राख़ में तब्दील होती रूह की तकदीर..!!!"
...
---दुनिया गले लगाती रही, इक तुम ही दूरियां बढ़ाते रहे..
Labels:
कहानी..
0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
Post a Comment