Sunday, October 6, 2013
'कभी..'
...
"खलती है कमी इक तेरी..
रूह पूछती है सवाल कई..
किसका जवाब दूँ..
किससे राह पूछूँ..
कौन आयेगा यहाँ कभी..
मर्ज़ी इक तेरी..
दहशतगर्दी इक मेरी..
साँस की डोरी..
कच्ची रही..
यूँ ही..
क्या समझेगा कोई कभी..!!"
...
Labels:
बस यूँ ही..
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..
Post a Comment