Friday, March 7, 2014

'इन्द्रधनुष..'







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"मेरे सपनों को अपने रूह की ज़मीं पर..अपनी शफ़क़त से पाला-पोसा है.. जब-जब दहकती थी रुसवाई की आँधी..अपने आँसुओं को बौछार बना सँवारा है तुमने..!!

ख़ुद को मेरी आँहों में उतार..ताज पहनाया है.. छुपा छालों का दर्द..ज़ख्मों को मेरे सहलाया है..!! मुझ बदमिज़ाज को दे आसरा..हर नफ्ज़ गले लगाया है..!!"

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--मेरी तल्ख़ धूप के इन्द्रधनुष..

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Himkar Shyam said...

बेहद उम्दा...महिला दिवस की शुभकामनाएँ …

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद हिमकर श्याम जी..!!