Sunday, June 14, 2015

'राज़ दे दो..'




...

"तस्वीर को साज़ दे दो..
ज़ुल्फ़ों को आगाज़ दे दो..१..

जो जहाँ है..वो वहाँ रहे..
वाईज़ को राज़ दे दो..२..

लिखता नहीं..शामो-सहर..
लफ़्ज़ों को ताज दे दो..3..

तारे..महताब..मचल रहे..
चाँदनी को लाज दे दो..४..

मुमकिन है..मोहब्बत अपनी..
साँसों को काज़ दे दो..५..!!"

...

--वीकेंड जाने का ग़म..

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संजय भास्‍कर said...

बेहतरीन लिखा है, पढ़कर आननद आ गया।
......शानदार रचना

संजय भास्‍कर said...

Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर ...बूढ़े का घर बनाना:)