Tuesday, December 21, 2010
'मौसम-ए-मोहब्बत..'
...
"कहते हैं..
फ़ासिल..
मौसम-ए-मोहब्बत होता है..
वो क्या जानें..
रूह के दरीचे का..
कभी रंग होता है..
भीगतीं हैं..
आरज़ू की कश्तियाँ..
क्या साहिल का..
कोई *मुहाफ़िज़ होता है..
जज़्बातों को लुटाना..
बाज़ी नहीं तमाशाबीनों की..
हौसला **रानाई-ए-ख्याल में होता है..!!"
...
#मुहाफ़िज़ = Guard/Guardian..
*रानाई-ए-ख्याल = Tender Thoughts..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/21/2010 05:13:00 AM
5
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रूमानियत..
Monday, December 20, 2010
'काश..'
...
"काश..
लम्हों को समेट सकते..
काश..
गुज़रा वक़्त जी सकते..
कुछ 'काश'..
आकाश हो सकते..
काश..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/20/2010 10:32:00 PM
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बस यूँ ही..
Saturday, December 18, 2010
'फ़लक-ए-महबूब..'
...
"तबस्सुम मौज़ पर..
तैरती है..
जब कभी..
चेहरा तेरा..
मेरे हमदम..
नूर-ए-हुस्न..
अख्तर-सा..
निखर जाता है..
सच कहा था..
फ़ासिलों ने..
नामुमकिन है..
फ़लक-ए-महबूब..
फ़ना ना होना..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/18/2010 04:55:00 AM
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Friday, December 17, 2010
'अजीब प्रश्न..'
...
"अजीब प्रश्न किया उन्होंने..
पूछा..
'क्या तुम हँसती हो..?'
कौन समझाए भला..
ऐसी बातों पर अवश्य ही..
मांसपेशियों को आराम नहीं देते..
दबदबाती..शर्माती आँखों से कहा..
'जी..'
'सुनिए..क्या आप शर्माती हैं..?'
यूँ दौड़ता हुआ इक विचार आया..
'क्या यह महानुभाव विवाह करेंगे..
या जीवन-भर व्यंग से निर्वाह करेंगे..?
हाथी के दाँत..खाने के और..दिखाने के और..
सामाजिक परिवेश भी क्या-क्या रंग दिखलाते हैं..
जीवन के महतवपूर्ण प्रसंग में चले आते हैं..
कितने अजीब यह दिल के बहुरूपी नाते हैं..'..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/17/2010 07:18:00 AM
4
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हास्य..
'धन्य हुआ..'
...
"धन्य हुआ जीवन..
तुम जैसा गुरु पाया..
अनाथ था स्वामी..
तुमने ही पार लगाया..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/17/2010 06:57:00 AM
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गुरुजन..
'माँ..'
...
"तेरे हाथों की बरकत..
तेरी दुआओं की शफ़क़त..
तेरी पाक़ इबादत..
तेरे तब्बसुम की क़ायनात..
*कामरां हुआ..
जिस रोज़ दामन..
जुड़ा पहलू से..!!!"
...
*कामरां = Blessed/Fortunate..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/17/2010 06:26:00 AM
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माँ..
Monday, December 13, 2010
'स्वप्न-धारा..'
...
"ठिकाना तलाशती कठोर सच्चाई..
जीवन-यापन की पुरानी लड़ाई..
विजयी होंगे..कहती स्वप्न-धारा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/13/2010 02:35:00 AM
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त्रिवेणी..
'यारों का साथ..'
...
"तन्हाई के घेरे..
खूबसूरत रंग..
यारों का साथ..
महके हर नफ्ज़..
मज़बूत जज़्बात..!! "
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/13/2010 12:03:00 AM
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दोस्ती..
Sunday, December 12, 2010
'स्मरणीय खजाना..'
...
"हम वादा निभा रहे हैं..
दम अपना लिखा रहे हैं..
रखना तिजोरी में सहेज..
स्मरणीय खजाना दिखा रहे हैं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/12/2010 11:26:00 PM
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प्रेरणादायी सन्देश..
'जागना है..'
...
"ऊँची अट्टालिकायें..
देती सन्देश..
जागना है..
हे बंधू..
तोड़कर सारे भेष..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/12/2010 11:14:00 PM
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प्रेरणादायी सन्देश..
'आभारी हैं..'
...
"हमराही उपवन के..
घनिष्ठ मित्र..
सुलभ जीवन के..
आभारी हैं..
ज्ञान-सागर के..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/12/2010 11:08:00 PM
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उपकार..
'शान-ओ-शौकत..'
...
"उम्मीदों का कूचा..
बदलता है..
जब कभी..
शान-ओ-शौकत..
दिखाते हैं..
ख्वाब कई..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/12/2010 10:59:00 PM
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दास्तान-ए-दिल..
Saturday, December 11, 2010
'एक स्वतंत्र विचार..'
एक 'नैट फ्रेंड' को समर्पित..जिनसे यह लिखने की प्रेरणा मिली..
...
"जिसने दिया जितना दाना..
उसका घरौंदा उतना लिया..
कभी इस डाल तो कभी उस डाल..
हर क्षण किसी का शरणा लिया..
राही हूँ..पंथी हूँ..ना कोई ठिकाना..
जो राह मिली..बस चल लिया..
ना किसी नगर की सीमा..
ना किसी देश की तारबंदी..
मानवता की पूँजी हूँ..
रज़ में लोट-पोट..
जीवन का #धरना किया...
संचय करो..या करो प्रवाहित..
अमर हूँ..अमूल्य हूँ..
किया समृद्धशाली..
जिसने मेरा वरना* किया..
गंगा-सा समर्पित..
हिमालय-सा अविचल..
शूरवीरों-सा साहसी..
वीरांगनाओं-सा अडिग..
किया न्योछावर स्वयं को..
जीवन **तरना दिया..
एक डोर में..
पिरो सुसज्जित..
रखना सदैव..
अंतर्मन के समीप..
'विचार' हूँ मैं..
'एक स्वतंत्र विचार'..!!"
...
#धरना = पहचान देना..
*वरना = वरन करना/पहनना..
**तरना = पार लगवाना..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/11/2010 07:29:00 AM
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उपकार..
'नक़ाबी खंज़र..'
...
"जो कहूँ तुझसे रंजिश नहीं..बगावत होगी..
बस्ती-ए-रूह..फरेबियों की वकालत होगी..
तमाशा खूब करते हैं..नक़ाबी खंज़र..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/11/2010 03:10:00 AM
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त्रिवेणी..
Wednesday, December 8, 2010
' मोहब्बत-ए-नासूर..'
...
"साँसों के शोर में जमती थीं..ज़िन्दगी थोड़ी अजीब..
लम्हों के जोड़ में थमती थीं..ये आहें थोड़ी करीब..
मोहब्बत-ए-नासूर सुलगे शब-भर..जज़्बातों के दामन..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/08/2010 12:57:00 AM
7
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त्रिवेणी..
Saturday, December 4, 2010
'दम-साज़..'
एक बहुत पुरानी रचना अपने पुराने रंग में प्रस्तुत है..
...
तुम रस-भरी सौगात..
जीवन की मिठास..
दर-ब-दर ढूँढता रहा..
फ़क़त तेरा लिबास..
कोई तुझ-सा कहाँ..
जगा जाए जो एहसास..
तुम सुबह-सी उजली..
शाम-सी ख़ास..
क्या बनोगी तुम..
मेरी दम-साज़..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/04/2010 05:40:00 AM
8
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रूमानियत..
Wednesday, December 1, 2010
'स्वप्न..'
...
"कभी हौले से..कभी तेज़ क़दमों से..
आहट होती है..तेरे मुस्कुराने से..
स्वप्न मिश्री-से सफ़ेद हो जाते..काश...!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/01/2010 10:34:00 PM
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त्रिवेणी..
'सुख-दुःख की चमचम..'
...
"थक कर..हार कर..थाम लूँ कदम..
मुश्किल है..संभालना मेरा दमखम..
रखता हूँ..शौर्य..बल..साहस..करुणा..
व्यर्थ है फैलाना..सुख-दुःख की चमचम..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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12/01/2010 06:39:00 AM
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रुबाई..
Monday, November 29, 2010
'फूल हूँ..'
...
"कभी मुझसे मिलने की ख्वाइश रखता है..
कभी मुझसे बिछड़ने की उम्मीद रखता है..
फूल हूँ..शूल नहीं..दामन मुझसे बचाओगे कैसे..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/29/2010 10:01:00 PM
11
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त्रिवेणी..
Saturday, November 27, 2010
'रूह का हिसाब..'
...
"ढूँढता हूँ..
सेहरा की रौशनी में..
शहद की खुशबू में..
साहिल की दीवानगी में..
गुल की हरारत..
फिज़ा का गुंचा..
शब की चिंगारी..
रूह का हिसाब..
ना मर सकूँगा..
फिर..
तुझसे बिछड़ने की मौत..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/27/2010 04:59:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
'इक दाद..'
...
"उनकी इक दाद पर मिटा करते हैं..
उनके दीदार पर खिला करते हैं..
जो कह दें ना..बिखर जाएँ..
दीवानगी हर नफ्ज़ जीया करते हैं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/27/2010 04:12:00 AM
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रूमानियत..
Friday, November 26, 2010
'भाषा..'
...
"सत्य की परिभाषा..
जन-जन की अभिलाषा..
परियों समान विलुप्त..यह भाषा..!"
...
"सत्य की परिभाषा..
जन-जन की अभिलाषा..
परियों समान विलुप्त..यह भाषा..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/26/2010 10:28:00 PM
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त्रिवेणी..
'ख़लल..'
...
"झुका हूँ जब भी तेरी आगोश में..
पाया है जन्नत का नज़ारा..
दफ्न कर दूँ..रूह को आज..
साँसों के धड़कने से ख़लल होती है..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/26/2010 05:43:00 AM
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रूमानियत..
'लिहाफ़ के दरख्त..'
...
"लिहाफ़ के दरख्त पर खुदा था..
रूह की ज़मीं पर सजा था..
सुर्ख आहों पर..मेरे महबूब की..
अदाओं का नगीना जड़ा था..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/26/2010 04:57:00 AM
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रुबाई..
Tuesday, November 23, 2010
'स्मरण..'
ऋणी हूँ..अपने माँ-बापू जी की..जिन्होंने जीवन का हर पाठ पढ़ाया और चलना सिखाया....
...
"बंधी डोर जिस क्षण..
हुआ पावन जीवन..
स्मरण रहेगा सर्वदा..
सींचा जो उपवन..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/23/2010 06:56:00 AM
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उपकार..
Sunday, November 21, 2010
'मसरूफ़ियत के फ़साने..'
...
"गुल सज़ाने हैं कई..
अश्क मंज़ाने हैं कई..१..
फ़क़त..जुर्म हैं साँसों का..
एहसास रज़ाने हैं कई..२..
शोखी निस्बत मौसम..
मसरूफ़ियत के फ़साने हैं कई..३..
नज़रें बेज़ुबां..सिरहन बेनक़ाब..
अदा के खज़ाने हैं कई..४..
क़त्ल-ए-आम दरिया हुआ..
कुर्बानी के तहखाने हैं कई..५..
चिकने ग़म-ए-हिजरां..
रफ्ता-रफ्ता गलाने हैं कई..६..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/21/2010 07:33:00 AM
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ग़ज़ल..
'एहसासों का दरख्त..'
...
"साँसों में मह्फूस रहा था..जो कभी..
जुस्तजू से आबाद बहा था..जो कभी..
तंग हो गयीं हैं एहसासों की दरख्त..
सच ही है..माज़ी ने कहा था जो कभी..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/21/2010 02:19:00 AM
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रुबाई..
Wednesday, November 17, 2010
'मूक पशुओं की सुनो पुकार..'
आज ईद पर अनगिनत मूक पशु-पक्षियों का क्रंदन हर ओर गूँज रहा है..दया और करुणा करें..अहिंसा का मार्ग अपनाएँ.. 'जियो और जीने दो'..!!
...
"मूक पशुओं की सुनो पुकार..
करते क्रंदन..
भय व्याकुलता अशांति..
आज चहुँ ओर..
हुई व्याप्त है..
हिंसा के परमाणु बसे..
क्यूँ ह्रदय में..
प्रिय है जीवन उनको भी..
करो दान..
दो उनको 'अभयदान'..
विवेक का परिचय..
उदारता का हाव..
कृतज्ञ रहेंगे सदा..
फैलाओ करुणा भाव.!"
...
...
"मूक पशुओं की सुनो पुकार..
करते क्रंदन..
भय व्याकुलता अशांति..
आज चहुँ ओर..
हुई व्याप्त है..
हिंसा के परमाणु बसे..
क्यूँ ह्रदय में..
प्रिय है जीवन उनको भी..
करो दान..
दो उनको 'अभयदान'..
विवेक का परिचय..
उदारता का हाव..
कृतज्ञ रहेंगे सदा..
फैलाओ करुणा भाव.!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/17/2010 12:30:00 AM
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अंतर्मन की पुकार..
Tuesday, November 16, 2010
'भावों के परिणाम..'
...
"जीवन को उपलब्धि समझ..
करते हैं जो विवेक का उपयोग..
भावों के परिणाम रहते हैं जिनके भीतर..
बाँधते सदैव दुर्गति का ही बोध..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/16/2010 04:16:00 AM
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अंतर्मन की पुकार..
Saturday, November 13, 2010
'रूहानी रूह..'
...
"एक जाल बुना था..
इर्द-गिर्द..
कुछ रूहानी रूह..
कूचा बसा गए..
जाम-ए-सुकूत..
छलका गए..
गहरा गए हो..
ज़मीं के आसमां पे..
फ़क़त..
भूला गए..
वजूद..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/13/2010 07:08:00 AM
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हम-ज़लीस/परम-प्रिय मित्र..
Wednesday, November 10, 2010
'सूनापन..'
...
"नशे में गुज़रती रही शब..
लफ्ज़ उलझते रहे..
यादों की आहें..
वादियों की ज़ुबानी..
भूला सकूँगा क्या कभी..
इठलाती निगाहों का सूनापन..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/10/2010 07:31:00 AM
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बस यूँ ही..
'रूह में हरारत..'
...
"निस्बत है मेरे दरख्त में..
आँसू हैं मेरी क़ैद में..
रुस्वां हुआ जिस दम..
रूह में हरारत..
साँसों में खलबली होगी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/10/2010 07:13:00 AM
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रूमानियत..
Tuesday, November 9, 2010
'मुकुट सफलता के..'
...
"चलते रहना..ए-राही..
रुकने से काँटे चुभते हैं..
आयें बाधाएँ हजारों..धैर्य रखना..
मुकुट सफलता के शूरवीरों पर जँचते हैं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/09/2010 08:58:00 AM
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ज़िन्दगी..
Monday, November 8, 2010
'रिश्तों की चादर..'
...
"इकरार करते जाना..ज़रा..
इज़हार करते जाना..ज़रा..
बर्फीली हैं..रिश्तों की चादर इन दिनों..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/08/2010 05:16:00 AM
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त्रिवेणी..
Sunday, November 7, 2010
'करुणा भर देना..'
...
"अंतर्मन की पुकार..
सुन लेना..
हे प्रभु..
देखूँ कोई दीन-दुखी..
करुणा भर देना..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/07/2010 08:28:00 AM
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अंतर्मन की पुकार..
'जीवन-यापन के साधन..'
...
"असीमित आकाश..
मुट्ठी भर धरती..
अनगिनत स्वप्न..
स्वच्छ आत्मा..
करुण संस्कार..
विशाल ह्रदय..
सेवामयी भाव..
अमृत वाणी..
पर्याप्त है..
जीवन-यापन के साधन..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/07/2010 06:01:00 AM
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अंतर्मन की पुकार..
Thursday, November 4, 2010
'काजल के पन्ने..'
...
"बहुत उलझे है..
चाहत के साये..
थाम लेना..
काजल के पन्ने..
और..
यादों के पाये..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
11/04/2010 09:19:00 AM
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मेहमां यादें..
Wednesday, November 3, 2010
'महबूब की परछाई..'
...
"गूंजे है..मेरे आँगन शहनाई..
वादियों में..महबूब की परछाई..
काश..रंग लाये ये रुबाई..
रूमानी हो जाये.. उनकी अंगड़ाई..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/03/2010 10:35:00 PM
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रूमानियत..
Monday, November 1, 2010
'तुमसे हैं.. निशां..'
समर्पित है..हमारे परम-प्रिय मित्र को..
...
"उठे हैं..
लाखों सवाल..
चले हैं खंज़र..
हुआ है मलाल..
बेकाबू धड़कन..
आँखें नम..
ग़मगीन नज़ारे..
निकला है दम..
गुमगश्ता था..
संवारा तुमने..
बेसहारा था..
संभाला तुमने..
बरसे गर..
बादल-ए-नाउमीदी..
रेज़ा-रेज़ा..
होगा..
आशियाना-ए-रूह..
तुमसे हैं..
रौशन..
तुमसे हैं..
साँसें..
तुमसे हैं..
*आब-ए-बका-ए-दवाम..
तुमसे हैं..
#सुर्खी-ए-गुलशन..
तुमसे हैं..
निशां..!!"
...
* आब-ए-बका-ए-दवाम = अंतहीन जीवन../Nectar that gives eternal life..
# सुर्खी-ए-गुलशन = बगीचे में फैले सुर्ख लाल रंग..
...
"उठे हैं..
लाखों सवाल..
चले हैं खंज़र..
हुआ है मलाल..
बेकाबू धड़कन..
आँखें नम..
ग़मगीन नज़ारे..
निकला है दम..
गुमगश्ता था..
संवारा तुमने..
बेसहारा था..
संभाला तुमने..
बरसे गर..
बादल-ए-नाउमीदी..
रेज़ा-रेज़ा..
होगा..
आशियाना-ए-रूह..
तुमसे हैं..
रौशन..
तुमसे हैं..
साँसें..
तुमसे हैं..
*आब-ए-बका-ए-दवाम..
तुमसे हैं..
#सुर्खी-ए-गुलशन..
तुमसे हैं..
निशां..!!"
...
* आब-ए-बका-ए-दवाम = अंतहीन जीवन../Nectar that gives eternal life..
# सुर्खी-ए-गुलशन = बगीचे में फैले सुर्ख लाल रंग..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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11/01/2010 05:57:00 AM
6
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हम-ज़लीस/परम-प्रिय मित्र..
Friday, October 29, 2010
'काविश-ए-मौत..'
<
...
"जिंदगानी लबों पे..
रखी है..
बुझ जाए..
रूह की आँधी..
गर..
समझ लेना..
इम्तिहाँ जीत आया..
काविश-ए-मौत..!!'
...
...
"जिंदगानी लबों पे..
रखी है..
बुझ जाए..
रूह की आँधी..
गर..
समझ लेना..
इम्तिहाँ जीत आया..
काविश-ए-मौत..!!'
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/29/2010 07:48:00 AM
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बस यूँ ही..
Monday, October 25, 2010
'सियासी मक्कारी..'
...
"सवालों की भीड़..
चीरती रूह..
बेबसी महकाती..
सियासी मक्कारी..!!"
...
"सवालों की भीड़..
चीरती रूह..
बेबसी महकाती..
सियासी मक्कारी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/25/2010 11:45:00 PM
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सियासत के रंग..
'इतराई है पुरवाई..'
"उड़ी है ग़मों की चादर..
फिर से..
छाई है खुमारी..
फिर से..
इतराई है पुरवाई..
फिर से..
दे गया हवा नासूर..
फिर से..
ना सह सकूँगा गम-ए-जुदाई..
फिर से..
आना ही होगा..
पेशानी-ए-रूह..
मेरे महबूब..
फिर से..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/25/2010 11:38:00 PM
3
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रूमानियत..
Saturday, October 23, 2010
'तुम्हारी कलम..'
...
"बेख़ौफ़ घूमता हूँ..
कूचे पे सनम..
ना मिलो..
ना देखो..
पैगाम भेजो..
राहगीरों के संग..
अश्कों में लिपटी..
तुम्हारी मखमली चादर..
खुशबू से तरबतर..
तुम्हारी कलम..
और..
चाहत से रंगरेज़..
मेरी रूह..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/23/2010 10:01:00 PM
2
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मेहमां यादें..
'डूबना सीखा गयी..'
...
"दोस्ती ईमां सिखा गयी..
डूबा था..फ़क़त..
डूबना सीखा गयी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/23/2010 01:06:00 AM
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दोस्ती..
Wednesday, October 20, 2010
'समर्पित है जीवन..'
हमारे परम-प्रिय मित्र को समर्पित, जिन्होंने हमारे जीवन को एक नयी दिशा..पहचान दी है..!!
...
"सुरभित है जीवन तुमसे..
सुरम्य है जीवन तुमसे..
सम्पूर्ण है जीवन तुमसे..
सुशोभित है जीवन तुमसे..
सलंग है मिठास तुमसे..
सदैव है मिठास तुमसे..
सुकोमल है मिठास तुमसे..
शीतल है मिठास तुमसे..
सुवर्ण है वाणी तुमसे..
सुसंस्कृत है वाणी तुमसे..
सभ्य है वाणी तुमसे..
संवरीं है वाणी तुमसे..
सानिध्य मिला है तुमसे..
संबल मिला है तुमसे..
संसार मिला है तुमसे..
सार मिला है तुमसे..
समर्पित है..
सादगी में समायी..
सु-संगती की..
सारी श्रृंखला..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/20/2010 06:19:00 AM
4
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हम-ज़लीस/परम-प्रिय मित्र..
'नाते..'
...
"झूठे हैं नाते सारे..
बेमतलब के नारे..
अश्क..रुसवाई..
रकीब हमारे..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/20/2010 12:01:00 AM
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'पर्दादारी..'
Monday, October 18, 2010
'नादाँ तमन्ना..'
...
"सुलगती सुलझने..
उलझती उलझने..
दफ्न नादाँ तमन्ना..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/18/2010 04:27:00 AM
6
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त्रिवेणी..
'ईमानदारी..'
...
"मुस्कुरा सके ज़माना..
अक्स छुपाये रखा..
ईमानदारी को बहाना..
मेरा साक़ी समझा..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/18/2010 03:24:00 AM
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बस यूँ ही..
' कारवाँ..'
...
"चला जिस मोड़..ठिकाना मिला..
कहीं हसरत..कहीं फ़साना मिला..
ना मिला..जिस उम्मीद कारवाँ खिला..!!"
....
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/18/2010 03:20:00 AM
2
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त्रिवेणी..
'कोई बहाना..'
...
"मसरूफ है ज़माना..
ढूँढो कोई बहाना..
क्या करीब नहीं आना..!!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/18/2010 03:06:00 AM
0
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रूमानियत..
Sunday, October 17, 2010
'अपने..'
...
"दहलीज़ ना रखना ज़माने के आगे..
सुना है..
अपने ही खंज़र छुपा लाते हैं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/17/2010 05:58:00 AM
9
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'पर्दादारी..'
'एक पुराने बक्से में..'
कुछ वर्षों पहले लिखी थी..बिना कोई संशोधन प्रेषित कर रहे हैं..
...
"बचपन सहेजकर रखा था..
एक पुराने बक्से में..
कुछ खिलौनें..कुछ गुड़िया..
कोई कश्ती..कोई गदा..
कुछ तीर-कमान..कुछ आँसू की पुड़िया..
कोई ताबीज़..कोई धागा..
कुछ भूली-बिसरी यादें..
कुछ गुलमोहर के फूल..
कुछ इमली के बीज..
कुछ बगीचे की धूल..
थोड़ी मासूम-सी हाथापाई..
कुछ पुराने सिक्के..
कुछ गुड़ के चक्के..
कुछ सरसों और मक्के..
थोड़े पुराने ख़त..
कुछ तितालियों के रंग..
कुछ दरिया का पानी..
कुछ चबूतरे तंग..
कुछ खिलखिलाती तस्वीरें..
कुछ कुरते के बटन..
कुछ जूतों की तस्में..
कुछ यारों के टशन..
दीवाली की सफाई में..
सब बेच दिया है..
सुना है..
मार्केटिंग वाले..
सब एक्सेप्ट करते हैं..
इस फेस्टिव सीज़न में..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/17/2010 04:41:00 AM
4
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Saturday, October 16, 2010
'साये..'
...
"दिल की तरंगों से..
बह निकले हैं..
साज़ कई..
महफ़िल सजे..
तूफाँ उठे..
ना जलेंगे..
यादों के साये..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
at
10/16/2010 06:58:00 AM
3
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दास्तान-ए-दिल..
'जुस्तजू ..'
...
"ना कहिये आप..
ना कहेंगे हम..
इसी जुस्तजू में..
निकल जाएगा दम..!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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10/16/2010 04:33:00 AM
6
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बस यूँ ही..