Monday, May 20, 2013

'ज़िंदा जिस्म..'





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"दफ़अतन तुम्हारे ज़ेहन से कैसे उतर गयी..गिर बाँहों से गर्द हो गयी.. क्या गुनाह हुआ..कहाँ छूटी तपिश.. तड़पती रातें..फफकती साँसें..बेआबरू रूह..!!!

एक रत्ती मिट्टी..एक गज़ सूत.. ज़िंदा जिस्म..बेबस हसरत..अदद अश्क..बोझिल आँखें.."

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---तेरे बिन थक गयीं हैं आहें..

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

दिगम्बर नासवा said...

जिन्दा जिस्म या जिन्दा लाश ... समय के गर्भ में ...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिगम्बर नासवा जी..!!