Sunday, June 30, 2013
'शोहरत के मुहताज़..'
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"कुछ तीस रोज़ बाकी हैं..मेरे वादे का शायद पहला फेज़ पूरा हो जाए..शायद आपकी हसरतें मुझ तक पहुँच जायें..इल्म हो जाए इन धमनियों को कि इस कैनवस पर कभी किसी और की कोई भी तस्वीर नहीं लग सकती..!!! रेत की स्याह लकीरों पे रोशन इक वजूद तेरा..ता-उम्र मुझपर रेशम-सा झरेगा..
'आठ' बजे के दर्द का रिसना आपके 'नाम' रहेगा..हिसाब-किताब तो मुझसे ज्यादा आप ही करते हैं न..!!!
आपकी सख्तियाँ बरबस ही मेरे मन की हंसी चुरा लें गयीं..पर LHS मेरा इंतज़ार करता है, जानती हूँ..और आप भी इस सच से वाकिफ़ हैं..!!! हैं ना?? मेरी उँगलियों के पोर तरसते हैं उन घेरों के लिए..मेरी साँसें आपकी गर्माहट बखूबी जानतीं हैं..!!!!
आज बार-बार पूछती रही ख़ुद से..'आपका और मेरा रिश्ता क्या है, आखिर??'...सारे जवाब दरिया में क़ैद अपनी आजादी की राह देख रहे हैं..!!!"
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--शोहरत के मुहताज़ सिलवटों के सौदागर..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/30/2013 12:28:00 PM
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कहानी..
Saturday, June 29, 2013
'आठ..'
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"मेरी घड़ी अब 'आठ' नहीं दिखाती..
ख़त्म सिलसिला..न मैं अब खुराफ़ाती..!!"
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--गंभीर कर जाते हैं कई सम्बन्ध-विच्छेद..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/29/2013 09:06:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
'चौथी बारिश..'
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"इक तेरी खुशबू..
दूजी सौंधी मिट्टी..
तीजी रूमानी रूह..
उस पर ज़ालिम यादें..!!"
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---चौथी बारिश भिगोती दरख्त..आसमां..आँगन..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/29/2013 06:00:00 AM
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बारिश..
'सुनो..'
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"सुनो..
तुम्हें पसंद है न..
बारिश की बूँदें..
रिसता प्यार..
और..
उसमें क़ैद दर्द..
तेरे जाने के बाद..
नहीं सुहाती बारिश..
रश्क़ है बूंदों से..
कुछ रोज़ हुए..
बाहर निकलती नहीं..
बारिश में..
बुलायें यादें कितना..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/29/2013 05:57:00 AM
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बारिश..
'तुम्हारी हर शै..'
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"तुम्हारी हर शै..
रूह में..
यूँ बसी..
लैपटॉप..मोबाइल..किताबें..
कार..स्टीरियो..आई-पॉड..
बिस्तर..चादर..सिलवटें..
सहर..दोपहर..शब..
तन्हाई..वीरानी..वहशत..
फ़क़त..
इस जहां..
उस जहां..
इक तू ही तू..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/29/2013 05:47:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Friday, June 28, 2013
'मेरे राज़दां..'
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"सुनो..
गर बेनक़ाब छूट गये..
हसरतों के माने..
वफ़ा के अफ़साने..
उम्मीद के पैमाने..
भूला दोगे..
सिलवटों के फ़ाये..
शब के पाये..
रूह के साये..
मेरे राज़दां..!!"
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--यूँ ही कलम चल गयी..आंधी-सी बह गयी..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/28/2013 04:41:00 AM
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बेबाक हरारत..
Tuesday, June 25, 2013
'लबरेज़ सहर..'
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"आते नहीं अब मिस्ड कॉल्स..
बंद हुआ किस्सा पुराना..
रात्रि के दूसरे पहर..
दफ़अतन..
सेलफोन पर उंगलियाँ..
तेज़ी से थरथराने लगीं..
घंटी गयी..
फ़ोन उठा..
कट गया..
फिर वही नंबर..
आवाज़ सुनते ही..
दिल की धड़कनें..
प्लेन मानिंद भागने लगीं..
कितने रोज़ बाद महसूस किया था..
तुमने मुझे और मैंने तुम्हें..
बन बारिश आँचल गिले-शिकवे तैरने लगे..
लिपट-लिपट पहरेदारों से आज़ादी चाहने लगे..
ख़ामोशी से पैबंद होंठ आने को बेकरार..
हिचकिचाहट रोके थी हर रस्ते के अशआर..
मशक्कत बाद निकला मेरा चाँद..
सहमा..खौफज़दा..मासूम..खूबसूरत..
एक रूह..
दो..नहीं..नहीं..
एक ही जिस्म हैं..
ना कभी होंगे जुदा..
'दिल धड़कने का सबब याद आया'..
'वो तेरी याद थी अब याद आया'..
'एक सौ सोलह चाँद की रातें'..
'एक तुम्हारे काँधे का तिल'..
धीमे-धीमे बालों का सहलाना..
और कस के थामना एक-एक रेशा..
'दे दो ना अपने सारे गम..गिले-शिकवे..'
और तुम्हारा फ़फ़क के रो देना..
आखिरी पहर..
लबरेज़ सहर..
रत्ती-भर प्यार..
बाँहों में यार..
काश..
वक़्त ठहर जाता..
संवारता सिलवटें..
पर..
वादा निभाना है..
अब मुझे जाना है..
इंतज़ार करना..
रिसने ना देना..!!"
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--लक्ष्य पुकार..
स्वप्न पूर्ण होंगे सारे..
अब देखना हमारे..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/25/2013 06:26:00 AM
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रूमानियत..
Friday, June 21, 2013
'रूल..'
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"अच्छा किया जो चले गये..
शर्मिन्दा होते हर तक़रीर..१..
क्या टुकड़े-टुकड़े जोड़ता हूँ हर्फ़..
ख़ुदको समझता बहुत अमीर..२..
लानत है बेखुदी पर जो न पहचाने..
अपनी औकात में लिपटी ताबीर..३..
चल बाँट ले रस्ते अपने-अपने..
रख लेना तू मेरी तकदीर..४..
न आऊँगा लौट के फिर..पहन..
कोई भी झूठी तस्वीर..५..
रख हौंसला,,कहता ख़ुद से..
बढ़ते रहना..ले ये जागीर..६..!!!"
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--कोई रूल बाँध सकता नहीं उलझी तारों के बेनक़ाब कोनों को..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/21/2013 11:21:00 AM
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बेज़ुबां ज़ख्म..
Thursday, June 20, 2013
'उठो..'
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"चलती-गिरती ज़िन्दगी की राहें..
उठो ख़ुद..नहीं आएँगी कोई बाँहें..!!
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Photo Courtesy - http://www.flickr.com/photos/ulfbodin/with/8014700704/
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/20/2013 06:04:00 AM
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ज़िन्दगी..
Tuesday, June 18, 2013
'ह्रदय-उपवन..'
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"देखो..धुला-धुला आकाश सारा..
जाने ह्रदय-उपवन किसने सँवारा..
खिले जब-तब अंतर्मन दर्पण..
सृष्टि करे विवेचन तुम्हारा..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/18/2013 07:31:00 AM
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बारिश..
'तीसरी बारिश..'
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"तेरा स्पर्श अब भी अंतर्मन को वैसे ही सहलाता है..!!"
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---तीसरी बारिश..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/18/2013 07:21:00 AM
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बारिश..
Saturday, June 15, 2013
'तार' की स्मृति..
१५ जुलाई २१०३ को भारतवर्ष के एक पुत्र का कूच.. १८५० में जन्म और २०१३ में विदाई..
बहुत रंग बिखेरे थे तुमने, अब कौन सुनाएगा..
आप-बीती शब्दों की बेल कौन लगाएगा..
एक स्मृति..'तार' की स्मृति में जो शीघ्र ही स्मृति बन जायेगा..
"तार-तार हुआ जाता है..स्नेह का तार..
आये बचा ले कोई इसे..बन तारणहार..!!"
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/15/2013 05:04:00 AM
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स्मृति..
Thursday, June 13, 2013
'अनमोल धरोहर..'
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"शीर्ष से उठ थाम अभिराम-चेतन..प्रस्फुटित होती हैं अनेक आकांक्षाएँ..!!! जानते हो न..ह्रदय की मलमल शाख का अविभाजित मूल्य..तुम अतुल्य हो, अमूल्य हो..!!
मेरे जीवन की अनमोल धरोहर हो..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/13/2013 11:53:00 AM
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ज़िन्दगी..
Tuesday, June 11, 2013
'बेगैरत..'
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"क्या सब कुछ स्कोर पर डिपैंड करता है..
मेरी सक्सेस से ही सब अस्सैस करते हैं..
मेरी वैल्यूज़, एथिक्स की कोई वैल्यू नहीं..
मेरा कंसर्न नज़र नहीं होता कभी..
बर्बाद ही सही..इतनी बेगैरत भी नहीं..!!"
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--ऐवें ही..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/11/2013 05:52:00 AM
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ज़िन्दगी..
'शफ़क़..'
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"बेदख़ल..
ज़ुल्फों को कर दूँ..
या..
घटाओं को..
सिलवटों को..
या..
करवटों को..
साहिलों को..
या..
सैलाबों को..
मुमकिन नहीं..
रेगिस्तां में शफ़क़..!!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/11/2013 05:30:00 AM
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ज़िन्दगी..
Monday, June 10, 2013
'प्यारे दोस्त..'
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"मेरी ज़िन्दगी के
पहले रंग..
मेरी आशिकी के..
पहले रसरंग..
मेरे अरमानों के..
पहले जलतरंग..
मेरी खुशबू के..
पहले हुड़डंग..
चल लूटें..
हर पतंग..!!"
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---प्यारे दोस्त मुझमें तुम..तुममें मैं..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/10/2013 06:06:00 AM
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दोस्ती..
Sunday, June 9, 2013
'फ़रियाद..'
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"मेरे रहगुज़र में करीब..
मेरी ज़िन्दगी के हबीब..
जा लौट जा..
संग-सी चाहत..
और..
फ़रियाद..
मुमकिन नहीं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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6/09/2013 04:29:00 AM
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ज़िन्दगी..