Friday, June 28, 2013
'मेरे राज़दां..'
...
"सुनो..
गर बेनक़ाब छूट गये..
हसरतों के माने..
वफ़ा के अफ़साने..
उम्मीद के पैमाने..
भूला दोगे..
सिलवटों के फ़ाये..
शब के पाये..
रूह के साये..
मेरे राज़दां..!!"
...
--यूँ ही कलम चल गयी..आंधी-सी बह गयी..
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बेबाक हरारत..
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