Thursday, June 13, 2013
'अनमोल धरोहर..'
...
"शीर्ष से उठ थाम अभिराम-चेतन..प्रस्फुटित होती हैं अनेक आकांक्षाएँ..!!! जानते हो न..ह्रदय की मलमल शाख का अविभाजित मूल्य..तुम अतुल्य हो, अमूल्य हो..!!
मेरे जीवन की अनमोल धरोहर हो..!!"
...
Labels:
ज़िन्दगी..
0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
Post a Comment