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"सब कुछ जो असंभव हुआ करता था..
आज संभव हो चला..
मैं जिस राह का पथिक न था..
वहाँ राज करने लगा..
मेरा भाव किसने जाना..
मैं रोधक तुम्हारा होने लगा..
न पढ़ सकोगे कभी..
अंतर्मन लिपि..
तुम्हारी दृष्टि में..
अपराधी जो हो गया..
समय का दोष था..
या..
परिस्थिति का रोग..
जो पिसा..मिटा..
वो मैं था..
हाँ..
वो मैं ही था..!!"
...
3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
बहुत सुंदर.
बहुत सुंदर.
धन्यवाद राजीव कुमार झा जी..!!
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