Sunday, September 25, 2011

'बस यूँ ही कुछ लिखा है आज..'




बस यूँ ही कुछ लिखा है आज..

...


"जाम-ए-उल्फत लिखा है आज..
रूह को बेगैरत लिखा है आज..१..

कहते हैं ख्वाइशों के रेले..कुछ..
बेगानों को अपना लिखा है आज..२..

कह दूं तो रंजिश होगी..ए-वाईज़..
हसरतों को पैगाम लिखा है आज..३..

साहिल हूँ वादियों का..ए-सनम..
तूने क्यूँ अपना हयात लिखा है आज..४..

सूनी है मुरादें..बारहां..मियाद लम्बी..
किस्सा नहीं बेज़ार लिखा है आज..५..

खलिश उठती है..तूफानी बस्ती..
महताब को कातिल लिखा है आज..६..!!!"


...

14 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Nidhi said...

यूँ ही लिखती रहो........यही दुआ है...

महेंद्र मिश्र said...

Bahut khoobsurat!!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

वाह! क्या लिखा है आज

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद एम के मिश्र जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद चन्द्र भूषण मिश्र 'गाफिल' जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद मयंक साहब..!!

आभारी हूँ..!!

संजय भास्‍कर said...

फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

विभूति" said...

बहुत खूब लिखा है आज....

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!!

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

कह दूं तो रंजिश होगी ऐ वाईज...

वाह! बहुत उम्दा....
सादर...

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय मिश्रा 'हबीब' जी..!!!

Udan Tashtari said...

बहुत गज़ब लिखा है आज!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!