Sunday, September 11, 2011

'मेरे हयात..'



...

"उठी है..
टीस कोई..

जिस्म से बहते..
लफ्ज़ कई..

मोड़ सकूँ जो..
यादों का पुलिंदा..

है कसम..
मेरे हयात..

ना थामना..
लकीरों का कसीदा..!!"

...

11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

विभूति" said...

काफी दिनों बाद आपका कुछ पढने को मिला... और हमेसा की तरह बहुत ही अच्छी....

सागर said...

very very nice....

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर अभिव्क्ति

shephali said...

बहुत बहुत खूब

Rakesh Kumar said...

आप शब्दों में जादू भर देतीं हैं,प्रियांकभिलाषी जी.

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

Nidhi said...

यादों का पुलिंदा जब मोडना सीख लेना,कायदे से...तो मुझे भी सिखाना,छोटी बहना !

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सागर जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेफाली जी..!!

Udan Tashtari said...

बहुत गज़ब!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!