Tuesday, December 10, 2013
'साज़..'
...
"मेरे हाथों में जमा है अब तलक..
उसके नर्म हाथों का एहसास..
आँखों में गाढ़ा है अब तलक..
उसकी छुअन में लिप्त साज़..
कुछ एहसास..साज़..पिघल हुए..
नश्तर-से प्यारे..नासूर-से ख़ास..!!"
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--मियाद..साहिल..सब बेमाने..
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बेज़ुबां ज़ख्म..
1 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
धन्यवाद राजीव कुमार झा जी..!!
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