Thursday, December 12, 2013
'पत्र की पात्रता..'
...
"वो मिठास कहाँ..
धैर्य और प्रेम का वो संगम कहाँ..
विश्वास की मजबूत धरोहर कहाँ..
सब बह गया..
समय की धार में..
सुन्दर..मोती-से अक्षर बोलें कहाँ..
पत्र की पात्रता ही सुरक्षित कहाँ..!!"
...
--सुनहरी स्मृतियाँ..
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स्मृति..
11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति.......
नया ज़माना .... अब पत्र कहाँ .... सटीक ।
कल 14/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
पत्र का ज़माना बीत गया ,एस एम् एस का जमाना आ गया |
नई पोस्ट विरोध
new post हाइगा -जानवर
सच मे
अब वो प्यार बरसता पत्र कहाँ
जो सहेज सकें
सुन्दर रचना
धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!
धन्यवाद संगीता आंटी..!!
धन्यवाद यशवंत जी..!!
सादर आभार..!!
धन्यवाद कालीपद प्रसाद जी..!!
धन्यवाद मुकेश कुमार सिन्हा जी..!!
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