Wednesday, January 1, 2014
'ज़ालिम टुकड़े..'
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"कितने करीने से..कितने सलीके से बिखरते हैं..हर ओर..!! जहाँ भी जाऊँ..पीछा करते हैं.. कार के डैशबोर्ड पर..स्टडी टेबल के ग्लास पर..मोबईल की स्क्रीन पर..डाईनिंग मैट्स पर..मार्बल फ्लोरिंग पर.. किताबों के शैल्फ़ पर..
कितने वफ़ादार हैं..ये टूटे हुए सपनों के ज़ालिम टुकड़े..!!!"
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--रहगुज़र तलाशते ख़ानाबदोश..
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
धन्यवाद राजीव कुमार झा जी..!
So nice of you.......
धन्यवाद प्रमोद जी..!!
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