Tuesday, January 28, 2014

'हर शै पे काबिज़..'











...

"इक तेरे आने और जाने में..
अंतर्मन के हर किनारे में..
रखा है तुझे सहेज के..

न देख ले कोई..

मेरी डायरी के हर पन्ने पे..
मेरे वार्डरॉब के हर कपड़े में..
मेरे शैल्फ़ की हर किताब में..
मेरे तकिये के लिहाफ़ पे..
मेरी रजाई की रुई में..
मेरे मोबाईल के पासवर्ड में..
मेरी कार के स्टीयरिंग पे..
मेरी डाईनिंग चेयर के बैक पे..
मेरी परफ्यूम की बौटल पे..
मेरे सनग्लास के फ्रेम पे..

बसे हो तुम..
हर तरफ..

हर शै पे काबिज़..
गिरफ़्त तेरी..

अटका है जुबां पे..
इक जाम तेरा..!!"

...

--लेट्स ग्रो टुगैदर..

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Rajeev Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर .
New Post : The Helpless God

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद राजीव कुमार झा जी..!!