Thursday, January 31, 2013
'ये अंदाज़..'
...
"सही आठ बजे हैं..और तुम्हें मैं याद नहीं..!!! क्या देखा अपना सैलफ़ोन..?? नहीं था ना तुम्हें मेरे SMS का इंतज़ार..अब दिल नहीं धड़कता होगा ना..??? जानती हूँ, सब बदल जाता है..वक़्त के साथ.. क्या इस काबिल भी नहीं थी, कि रह सकूँ ता-उम्र 'आठ बजे की हक़दार'..????
उफ़..बहुत कातिल हैं..तेरे ये अंदाज़..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/31/2013 10:41:00 AM
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बेबाक हरारत..
'शिद्दत..'
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"आज फिर.. अपनी हैसियत से ख़ुदा दे बैठा रहमो-करम वाली टोकरी.. ऐसा ही है नसीब का खेल.. एक तरफ़ा शिद्दत और सेर भर हिदायत..!!!!
खैर..
हासिल कहाँ ज़मानत..
क़ाफ़िर हुआ याराना..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/31/2013 10:19:00 AM
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ज़मीनी हकीक़त..
'टीसती रातें..'
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"आपके पास सो भी नहीं सकती..
मेरा वाला LHS करता होगा ना बारहां ये सवाल, 'कहाँ है मीत..क्यूँ बंद हैं गीत..???' सिलवटें, रजाई सब देखते होंगे ना मेरी राह..दरिया भी सूना होगा ना, तलाशता होगा तेरे-मेरे निशां..!!!"
...
----टीसती रातें, महबूब बिन..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/31/2013 10:16:00 AM
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बेबाक हरारत..
'ज़ालिम ज़माना..'
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"आँगन में फैला वो पुराना जामुन का पेड़ पूरे शबाब पर था..जलती दोपहरी, अलसाती दूब, मुरझाती चमेली, शर्मीली मेहन्दी, इठलाती चंपा, सुर्ख़ तपती बजरी, तनहा चूल्हा, अंगारे-सी तपती खाट...सब कुछ सूना-सा..
कमी थी तो बस उन शैतान तस्वीरों की, जो आज ना जाने किस डर से माँ के आँचल में छुपे बैठे थे..!!! शायद, सुबह-सुबह किसी मनचले ने मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ दिया.. न जाने कितनी बिजलियाँ गिरीं होंगी उन मासूमों पर, जो अपना गम भूला पूरा दिन सजाते हैं आशियाँ उन बाशिंदों के लिए जो उन्हें तहस-नहस कर हँसते हैं..!!!
ज़ालिम ज़माना..!!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/31/2013 10:09:00 AM
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कहानी..
'घटना-बढ़ना..'
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"घटना-बढ़ना नियम है प्रकृति का..जैसे प्रेम का माधुर्य समीप रहने से बढ़ जाता है और आँखों से ओझल होते ही घटने लगता है..!!! ठीक वैसे ही जैसे, सागर और आकाश की निकटता से लहरें अपना वेग बढ़ा लेतीं हैं..मिट्टी और जल का आकर्षण बढ़ते ही चिन्ह गहरे गढ़ जाते हैं..
और....और.....रात्रि के दूसरे प्रहर में स्वांसें तेज़ गति से बढ़ती हुईं, अनगिनत ग्लानि, दुःख, रोष, एकाकीपन घटा देतीं हैं..!!!"
...
---गुरु वचन..गुरु को समर्पित..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/31/2013 09:49:00 AM
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बेबाक हरारत..
'ऐश्वर्या-पोलू : प्रेम की किश्तें - भाग ३..'
तीसरी किश्त..शैतानी और मस्ती भरी..
---
***तीसरा पत्र***
...
प्रिय ऐश,
कितने दिन हुए..तुम मुझसे मिलने भी नहीं आयीं..?? कबसे आँखें बिछाये बैठा हूँ, तुम जानती हो..आते-जाते सब दोस्त मेरे एक ही सवाल करते हैं, 'पोलू, क्या हुआ तुझको?? ये क्या हाल बना रखा है..बिलकुल देवदास टाइप्स लग रहा है..?? कहीं लव-शव तो नहीं हो गया तुझे.??? व्हाट्स गोइंग ऑन, बडी..??'...
हे बेबी, दिस हैज़ नैवर हैपंड विद में..मैं कभी भी किसी का इंतज़ार कर इतना बेचैन नहीं हुआ..ऐसा क्यूँ हो रहा है, एनी आईडिया..??? मिस्ड यू बैडली..रियली आई डू..!!!! जल्दी आओ ना..वेटिंग..
तुम्हारा..
पोलू..
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/31/2013 04:13:00 AM
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कहानी..
Wednesday, January 30, 2013
'प्यार..'
...
"तेरी तन्हाई से..
गुजरी बातों से..
उलझी यादों से..
बेहिसाब तल्खी से..
अनछुई छुअन से..
नर्म रात से..
सुलगती सिलवटों से..
अब तलक..
प्यार है..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/30/2013 03:30:00 AM
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रूमानियत..
Friday, January 25, 2013
'ऐश्वर्या-पोलू : प्रेम की किश्तें - भाग २..'
###
दूसरी किश्त..शैतानी और मस्ती भरी..
---
***दूसरा पत्र***
...
प्रिय पोलू,
यू रॉक बेबी..!!! यू वर लुकिंग सो हैण्डसम थैट आल माय फ्रेंड्स गौट जैलस..!! तुम सच में बहुत प्यारे लग रहे थे, उस वाईट जैकेट में..!!
सब सखियाँ बार-बार तुम्हारा नाम पूछ रहीं थीं, पर मैंने इग्नोर कर दिया.. तुम तो जानते ही हो न, हाउ पोज़ेज़िव आई एम फॉर यू ..!!
थीज़ सिली गर्ल्स, कोई काम है नहीं और बस आ जातीं हैं तुम्हारी डिटेल्स लेने..!!! उस दिन भी पूछ रहीं थीं सब, 'आज अपना फेवरेट इवनिंग गाऊन पहन कहाँ जा रही हो..???' बड़ी मुश्किल से टैकल किया इनको..!!!!! 'हँ, वाय डोंट दे माइंड देयर बिज़नस..????'
इतनी टेंशन लेकर मेरे फेस का सब ग्लो चला गया.. :-( ओह माय गॉड....आई एम लेट फॉर माय ब्यूटी सैशन..!! लीविंग स्वीटी..सी या एट नाईट..!!
तुम अपनी चाँदनी मैडम को बोलना ना मुझ पर थोड़ा ज्यादा लाईट फोकस करें, वो क्या है ना..इस बार के ब्यूटी पेजेंट में मुझे पार्टिसिपेट करना है...तो...तो...तुम समझ गए ना...!!! ब्लश..ब्लश.. :-) :-)
ओके, अब मैं चलती हूँ..
सी यू एट नाईट..
यौर्ज़ फॉरएवर
ऐश ट्यूलि
...
दूसरी किश्त..शैतानी और मस्ती भरी..
---
***दूसरा पत्र***
...
प्रिय पोलू,
यू रॉक बेबी..!!! यू वर लुकिंग सो हैण्डसम थैट आल माय फ्रेंड्स गौट जैलस..!! तुम सच में बहुत प्यारे लग रहे थे, उस वाईट जैकेट में..!!
सब सखियाँ बार-बार तुम्हारा नाम पूछ रहीं थीं, पर मैंने इग्नोर कर दिया.. तुम तो जानते ही हो न, हाउ पोज़ेज़िव आई एम फॉर यू ..!!
थीज़ सिली गर्ल्स, कोई काम है नहीं और बस आ जातीं हैं तुम्हारी डिटेल्स लेने..!!! उस दिन भी पूछ रहीं थीं सब, 'आज अपना फेवरेट इवनिंग गाऊन पहन कहाँ जा रही हो..???' बड़ी मुश्किल से टैकल किया इनको..!!!!! 'हँ, वाय डोंट दे माइंड देयर बिज़नस..????'
इतनी टेंशन लेकर मेरे फेस का सब ग्लो चला गया.. :-( ओह माय गॉड....आई एम लेट फॉर माय ब्यूटी सैशन..!! लीविंग स्वीटी..सी या एट नाईट..!!
तुम अपनी चाँदनी मैडम को बोलना ना मुझ पर थोड़ा ज्यादा लाईट फोकस करें, वो क्या है ना..इस बार के ब्यूटी पेजेंट में मुझे पार्टिसिपेट करना है...तो...तो...तुम समझ गए ना...!!! ब्लश..ब्लश.. :-) :-)
ओके, अब मैं चलती हूँ..
सी यू एट नाईट..
यौर्ज़ फॉरएवर
ऐश ट्यूलि
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/25/2013 03:55:00 AM
4
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Thursday, January 24, 2013
'तुम..'
...
"तुम..
तुम..
ज़ेहन में हो बसते..
सबब-ए-ज़िन्दगी..
क़तरा-ए-रूह..
ख़लिश-ए-धड़कन..
हरारत-ए-जिस्म..
फ़लसफ़ा-ए-दोस्ती..
वजूद..अरमां..पहचां..
तुम ही हो..
हाँ..हाँ..
तुम..!!"
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/24/2013 10:23:00 AM
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'दी..'
'हर पंक्ति..'
...
"मेरी कविता की..
हर पंक्ति..
रची-बसी तुमसे..
सुबह की पहली लाली लिये..
चहकी तुमसे..
दोपहर की अल्हड़ वाणी लिये..
दहकी तुमसे..
शाम की मदमस्त रवानी लिये..
बहकी तुमसे..
रात की भीगी चाँदनी लिये..
महकी तुमसे..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/24/2013 07:51:00 AM
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Wednesday, January 23, 2013
'ऐश्वर्या-पोलू : प्रेम की किश्तें - भाग १..'
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पहली किश्त..शैतानी और मस्ती भरी..
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***पहला पत्र***
...
प्रिय ऐश्वर्या ट्यूलिप,
जिस क्षण से तुम्हें देखा है, हमारे यहाँ के माली काका थोड़े उखड़े-उखड़े रहने लगे हैं..कहते हैं, 'ओ बिटवा(माय निक नेम), तनिक इधर भी देखी लो ज़रा..बहुत सुंदर त्युलिपा उगाई रहे इस सीज़न मा..!! हमारी मेहनत का कोई सुधि नहीं..!!!'
अब हर तरफ तुम्हारा ही चर्चा हो रहा है ना..इन दिनों चाँदनी मैडम(एज़ पर न्यू फैशन स्टेटमेंट) से लाईट का थोड़ा ज्यादा कोटा लेना पड़ रहा है, तुम्हारे सामने सबसे ज्यादा डैशिंग और हैण्डसम मुझे ही दिखना है ना.. :-)
अच्छा सुनो, आज रात मिलने आओगी सबसे छुप कर..?? हाँ..हाँ..जब सब सो जायेंगे तब तुम अपना ब्राईट रैड इवनिंग गाऊन पहन वेव करना..मैं सिग्नल मिलते ही ब्लश करूँगा. :-) :-) (यू नो ना बेबी, बींग अ जेनएक्स गाय, आई हैव तो कीप पेस विद द करेंट टाइम्स..!!)..
अब चलता हूँ, अभी स्पा लेने जाना है..!!
तुम्हारा..सिर्फ तुम्हारा..
पोलारिस स्टार
(पोलू तारा)
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/23/2013 04:51:00 AM
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हल्का-फुल्का..
Sunday, January 20, 2013
'नयी तरकीब..'
हास्य-कविता..
**कृपया 'हास्य-रस' का पूर्ण उपयोग करें..और किसी भी शब्द को व्यक्ति-विशेष ना समझें..!!
...
"आओ सीखें नयी तरकीब..
कैसे करें घोटाले जनता के बीच..
चलो गाँव की सैर पे जाएँ..
पहन जूते खाली परात उठायें..
रात गरीब-कुटिया में ना गुज़ारे..
केवल एक फोटो खिंचवायें..
पूरा देश कर रहा हो सवाल..
आप ए.सी. रूम में मौज लुटायें..
राजनीति में हाथ बँटाओ, युवा-शक्ति..
बदले में बैंक-बैलेंस, विदेशी सैर करायें..
कोई जीये-मरे..देश आर्थिक-हालात से जूझे..
अपुन विदेशी वेकेशन पर जायें..
चलो, अब बहुत हुआ देश-भक्ति का नाटक..
संस्कृति, मूल्यों, जनता का मखौल उड़ायें..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/20/2013 11:01:00 AM
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हास्य..
Saturday, January 19, 2013
'नीम..'
...
"चलो..
तोड़ लायें..
चमकीले तारे..
महताब के आँगन से..
तलाशता आयेगा, देखना..
नीम की मदमस्त मीठी बाँहों तक..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/19/2013 12:35:00 PM
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दास्तान-ए-दिल..
'अधूरापन..'
...
"आप ही माध्यम हैं..जिनसे ना जाने कितनी अनगिनत रातें सुकून पाती है, बेसबब बातें अपना मुकाम, स्याह शामें अपना गुरुर, अल्हड़ सुबह अपना जूनून.. कोई प्यास, तड़प आपसे मिल ही अपना वजूद पहचानती है..किसी का अधूरापन आपके छू भर लेने से पूर्ण हो जाता है..!!"
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Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/19/2013 11:56:00 AM
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'दी..'
Friday, January 18, 2013
'हास्य कविता..'
कुछ हटकर...बहुत हुआ रोना-धोना, अब गया 'रोतलू पोस्ट्स' का सीज़न..
एन्जॉय फोल्क्स..
...
"बहुत हुई तौहीन..
इस दफा..
अब लिखूँगी..
सिर्फ हास्य कविता..
कहिये जनाब..
आपके वहाँ ठंड है..??
इसलिए ट्रैफिक का..
आवागमन बंद है..
चल रहीं हैं..
बर्फीली हवाएँ..
आउटडेटेड हुईं..
तेरी अदाएँ..
रंगीली हो तुम..
मेरी जां..
प्लीज मत करो..
आँखें चार..
चलती हूँ..
नींद के पास..
मत लेना खर्राटे..
मेरे आसपास..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/18/2013 10:00:00 AM
9
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हास्य..
Thursday, January 17, 2013
'साज़-सज्जा..'
...
"बिजली रोक सकती नहीं..
ह्रदय-पट पर उमड़ी कहानी..
कागज-कलम बुला रहे..
करो साज़-सज्जा पुरानी..
पत्र ढूँढती होगी प्रेयसी..
लगाओ राग कोई मस्तानी..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/17/2013 12:44:00 AM
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रूमानियत..
Wednesday, January 16, 2013
'अश्क..'
...
"क्या ढूँढ रही है मेरी नज़र..
क्या चाहती है रूह मेरी..
क्यूँ धुंधली है हर राह..
क्यूँ प्यासा लगता है हर दरिया..
क्यूँ तड़प इतनी है..
क्यूँ ये तलब मिटती नहीं..
क्यूँ अश्क थमते नहीं..
क्यूँ अब्र-ए-चश्म जलते नहीं..
बस भी करो..
थक गयी हूँ..
अब..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/16/2013 10:33:00 AM
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दास्तान-ए-दिल..
Tuesday, January 8, 2013
'अनकहे हर्फ़..'
...
"चीर देना जिस्म मेरा..
रूह पे सदियों से तुम्हारा ही इख्तियार रहा..क्यूँ सुलगते हो इस जाड़े की बारिश में..आ जाओ, लपेट आँसुओं का फीता मेरे दिल की गिरह पर..!!!!
गाँठें पूरी शब खुलेंगी आज.. ले आना अपना फौलादी जिगर भी..!!!"
...
----कुछ अनकहे हर्फ़ जो ता-उम्र जुबां में अटक ज़िन्दगी चुरा ले जाते हैं..हाँ, सच.....ज़िन्दगी..!!!
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/08/2013 10:59:00 PM
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कहानी..
'तड़प ..'
...
"बहुत कोशिश करी..ना रिसे तुम्हारी यादों की चाशनी.. पर, कौन रुका है... नहीं जानती मैं कौन हूँ..नहीं मानती मैं इस दुनिया की झूठी रिवायतें...नहीं जतलाना चाहती जो है नहीं मौजूद...फिर क्यूँ तुम समझते नहीं, मेरी बेचैनी..??? रात भर तड़पती हूँ बाँहों में तुम्हारी सो जाने को..पर...मेरी तड़प बस मेरी ही है..!!!! है ना..?? बिलकुल मेरी तन्हाई जैसी..!!"
...
---तड़पती रूह के वारिस--चंद हर्फ़...शब भर फर्श पर बिखरे रहे..
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/08/2013 10:51:00 PM
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कहानी..
Monday, January 7, 2013
'सदा..'
...
"बेआबरू हो चली आज फिर रूह से अपनी..
तुम्हारी सदा गूंजती रही..शब भर..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/07/2013 07:29:00 AM
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ज़मीनी हकीक़त..
Sunday, January 6, 2013
'रेला..'
...
"कोई रख सकता जन्नत आँखों में..
कोई लपेट देता लिहाफ़ लज्ज़त के..
कोई जला देता साँसों की सिगड़ी..
कोई बिछा देता आहों की लकड़ी..
सुलगती रहती रेज़ा-रेज़ा..
गहराती जाती वफ़ा तह-दर-तह..
काश..
माज़ी लकीरों का सौदा ना करता..
हसरतों का बाकी कोई रेला ना होता..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/06/2013 09:20:00 AM
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बस यूँ ही..
Thursday, January 3, 2013
'हनन..'
...
"बहुत हुआ हनन..
लेती हूँ वापस अर्जी..
अपनी..
कुछ अभिलाषाएँ..
अपूर्णता-व्रत पालतीं हैं..
चलती हूँ..
करना क्षमा..
लक्ष्य-भेदन लक्ष्य मेरा..
थक बैठना जीवन नहीं..!!"
...
Writer/शब्दों के कारोबारी..
priyankaabhilaashi
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1/03/2013 10:17:00 AM
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ज्वलनशील-कथन..