Sunday, January 20, 2013
'नयी तरकीब..'
हास्य-कविता..
**कृपया 'हास्य-रस' का पूर्ण उपयोग करें..और किसी भी शब्द को व्यक्ति-विशेष ना समझें..!!
...
"आओ सीखें नयी तरकीब..
कैसे करें घोटाले जनता के बीच..
चलो गाँव की सैर पे जाएँ..
पहन जूते खाली परात उठायें..
रात गरीब-कुटिया में ना गुज़ारे..
केवल एक फोटो खिंचवायें..
पूरा देश कर रहा हो सवाल..
आप ए.सी. रूम में मौज लुटायें..
राजनीति में हाथ बँटाओ, युवा-शक्ति..
बदले में बैंक-बैलेंस, विदेशी सैर करायें..
कोई जीये-मरे..देश आर्थिक-हालात से जूझे..
अपुन विदेशी वेकेशन पर जायें..
चलो, अब बहुत हुआ देश-भक्ति का नाटक..
संस्कृति, मूल्यों, जनता का मखौल उड़ायें..!!"
...
Labels:
हास्य..
0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
Post a Comment