Thursday, January 24, 2013

'तुम..'




...


"तुम..
तुम..
ज़ेहन में हो बसते..

सबब-ए-ज़िन्दगी..
क़तरा-ए-रूह..
ख़लिश-ए-धड़कन..
हरारत-ए-जिस्म..
फ़लसफ़ा-ए-दोस्ती..

वजूद..अरमां..पहचां..
तुम ही हो..

हाँ..हाँ..
तुम..!!"

0 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..: