Sunday, January 3, 2010

राम ना कर..


...

"तमन्नाओं का नाम ना कर..
सरे-राह..ज़मीर नीलाम ना कर..१

ज़बां से हुआ ना इल्म ज़रा..
तस्वीर महफ़िल में जाम ना कर..२

खुशबू गुलाबों से..क़यामत वाजिब..
गुलबदन..पर्दा मेरा दाम ना कर..३

खूं से लबालब खंज़र..रेत हुआ जिस्म..
बस..हर निशान-ए-क़त्ल राम ना कर..४..!"

...

3 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Udan Tashtari said...

शानदार!!



’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

PRAFUL JAIN said...

wow...!!! outstanding

priyankaabhilaashi said...

आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद..