Tuesday, January 26, 2010

'कितनी मासूमियत बचा रखी है..'


....


"कितनी बेबसी छुपा रखी है..
कितनी मासूमियत बचा रखी है..


हर सहर..


इक नकाब पहने..
रूह को दफनाये..


महफिल तक जाने को..
बारहां..निशाँ छुपाये..


बेरब्त ख्यालों की खलिश ने..
बिसात-ए-नजाकत उखड़वाये..


इक दर्द का मंज़र..

मिटटी के जिस्म सजाये..


बेवक्त दास्तान-ए-अब्र..
इक बूँद में समंदर समाये..


उफ़..रंजिश-ए-ज़िन्दगी..
कारवां कितने कतराये..


आशियाँ प्यासा ता-उम्र..
नश्तर मजरूह बिकवाये..


..


कोने में रखी अलमारी..
रेंगती हयात जैसी तनहा..


..


सच..


कितनी बेबसी छुपा रखी है..
कितनी मासूमियत बचा रखी है..!"


...

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Dr Bhaavin Turrakhia said...

Very few people have such God's gift to be able to express their feelings in such a nice way.....cheers

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद भाविन जी..!!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर...

Udan Tashtari said...

उम्दा!!

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद महफूज़ अली जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!