Monday, September 12, 2011

'ए-राही..'






...


"भिन्न-भिन्न हों..
जीवन की राहें..

दुर्गम हों..
अनुभूति की दिशायें..

चलते रहना..
बढ़ते रहना..
ए-राही..

लक्ष्य के घुंघरू..
थाप से ही मचलते हैं..!!"


...

10 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Sunil Kumar said...

सार्थक सन्देश आभार

Rakesh Kumar said...

लक्ष्य के घुंघरू
थाप से ही मचलते हैं..!!

गजब के शब्द,बेहतरीन प्रस्तुति.
पढकर मन्त्र मुग्ध हो गया हूँ.


मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
नई पोस्ट जारी की है.

विभूति" said...

सुन्दर और सार्थक पंक्तिया....

Nidhi said...

सकारात्मक प्रस्तुति

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुनील कुमार जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद राकेश कुमार जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद सुषमा 'आहुति' जी..!!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दी..!!

Udan Tashtari said...

बेहतरीन

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!