Friday, September 30, 2011
'आभारी हूँ..'
...
"क्षण-क्षण निखरती रही..
घड़ी-घड़ी सजती रही..
स्पर्श से तुम्हारे..
हर स्वाँस चलती रही..
लक्ष्य की ओर प्रसंगित किया..
हर बाधा को पार किया..
अदम्य साहस सहारा बना..
अद्भूत शौर्य ढाल बना..
जीवन को उदेश्य मिला..
स्वप्न हर पूर्ण हुआ..
आभारी हूँ..
कृतज्ञ हूँ..
आदरणीय कलम..
तुमसे ही जीवनदान मिला..
यह अनमोल संसार मिला..!!!"
...
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उपकार..
7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
बहुत सुन्दर वाह!
bhaut hi sundar bhaav.....
प्रियंका...होना भी चाहिए ..क्यूंकि कागज़ कलम..दोनों ही ऐसे वक्त में हमारी भावनाओं को सहारा देते हैं...जब कोई दूसरा नहीं होता
बहुत ही सुन्दर.....
behtareen bhaw
बेहतरीन!
धन्यवाद रश्मि प्रभा जी..!!
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