Thursday, September 22, 2011
'सौदा..'
...
"आज फिर..
सौदा होगा..
कुछ जज्बातों का..
कुछ ख्वाईशों का..
कुछ अरमानों का..
दफ़्न किये जायेंगे..
बेखुदी के दरिया कितने..
इबादत के फ़साने कितने..
रूदाद-ए-मोहब्बत कितने..
जलाये जायेंगे..
कदीम ख़त सारे..
क्यूँ लिखे थे तूने..
एहसां इतने..
बिखर रहा हूँ..
फ़क़त..
आये नहीं..
मेहरबां कोई..!!!"
...
Labels:
बेज़ुबां ज़ख्म..
11 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
bhaut hi acchi....
चाँद लफ़्ज़ों में बहुत बड़ी बात कह गयीं हैं आप
बधाई
jo bhi humdard hain ...zaroor aayenge...laakh jatan kar lo,tum.....rokne ka
बेहतरीन शब्द चयन और बहुत ही सशक्त भावाभिव्यक्ति ! अति सुन्दर !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
धन्यवाद सागर जी..!!
धन्यवाद दी..!!
धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!
धन्यवाद सदा जी..!!!
धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!
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