Monday, January 4, 2010

चल-चला..


...


"थाम हाथ..
पग उठा..

ना थक..
बन हवा..

कर जग..
जग-मग..

श्रम लगा..
फल उगा..!"

...

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Udan Tashtari said...

उम्दा!!



’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद..!!!