Tuesday, January 5, 2010

किस्तें..


...

"जिस्म के रिश्ते..
नासूर दे जाते हैं..
अक्सर..

बेवज़ह मरहम..
लगा जाते हैं..
अक्सर..

ज़रा..
गम-ए-जुदाई..
उधार दे जाना..

किस्तें चुकानी हैं..!"

...

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढ़िया!!

priyankaabhilaashi said...

शुक्रिया जी..!!

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा!!

Unknown said...

aacha laga