Monday, January 18, 2010
' इक सपना..'
...
"मुझ में बसा था जो..
हर पल सज़ा था जो..
महफिलों की जान था जो..
दिल का अरमां था जो..
नाजों से पला था जो..
रूह में रमा था जो..
महताब से धुला था जो..
गुलशन से खुला था जो..
हर तरफ अश्कों का मंज़र..
कुछ ऐसा खंज़र था जो..
मेरा इक सपना..पला था वो..
फ़क़त..हर पल जला था वो..!"
...
7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
eaah...waah kya kahne
har pal jalke hi aise bahv nikal sakte hain, aakhir sona jitna taptaa hai utna hi kharaa hota hai.
यूँ ही लिखते रहिए
सुमन जी..धन्यवाद..!!
संजीव जी..धन्यवाद..!!
अनिल कान्त जी..धन्यवाद..!!
मेरा इक सपना पला था वो
फ़कत.. हर पल जला था वो
कभी साकार होते हैं तो कभी टूटते भी हैं - देखते रहें - शुभकामनाएं. तस्वीरखूब मेल खा रही है
ह्रदय पुष्प जी..धन्यवाद..!!
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