Tuesday, January 26, 2010
'हम-दम..'
...
"हर लम्हा आँख नम कर जाते हो..
हर ख्वाब सज़ा कम कर जाते हो..१
पशेमां मौसम हुए जाते हैं..अब..
क्यूँ..तन्हाई में दम भर जाते हो..२
नूर से रंगी तस्वीर वो पुरानी..
फ़क़त..सांसों में जम* भर जाते हो..३
दर्द मचलता है चुपके-चुपके..
खामोशी से मुझमें रम जाते हो..४..
रिवायत-ए-मोहब्बत-ए-आलम..
दो गैरों को हम-दम कर जाते हो..५..!"
* जम = जाम..
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7 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
दर्द मचलता है चुपके चुपके
ख़ामोशी से मुझमे रम जाते हों
रिवायत-ए-मोह्हब्बत-ए-आलम
दो गेरों को हम-दम कर जाते हो
बहुत खूब
दर्द मचलता है चुपके चुपके...बेहतरीन सोच!!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें....
धन्यवाद ह्रदय पुष्प जी..!!
धन्यवाद उड़न तश्तरी जी..!!
धन्यवाद मिथिलेश जी..!!
Bahut khub..
Sahaj samjh me aayi aapki rachna
Ham-Dam sirsak,
Post ke sath laga picture
Kamal ka combination.
Gantantra divas ki badhai..
Arshad Ali
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