Thursday, September 2, 2010
'गरम यादें..'
...
"गिरती संभलती..
कभी इस कोने..
तो कभी उस डाल..
धमा-चौकड़ी मचाती..
आँगन रंग बिखेरती..
शहनाई-सी मिठास..
बांसुरी-सी ताजगी..
घोलती सुरीली वाणी..
आज भी..
करीने से रखी है..
संदूक में..
मलमल दुपट्टे ओढ़े हुए..
उन ठंडी रातों की..
गरम यादें..!!"
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मेहमां यादें..
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आपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!
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