Sunday, September 19, 2010

''कीमत..'



...

"अक्स मिलते हैं..
बाज़ार में अब..
रिश्तों के काफिले..
सुलगते हैं तब..
कीमत चुकानी मुश्किल..
अपने ग़ैर बनते हैं ज़ब..!!"

...

4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ...अपनों के गैर बनने पर सच ही कीमत चुकानी मुश्किल होती है ...

Anonymous said...

nice...
behtareen....
keep writing...----------------------------------
मेरे ब्लॉग पर इस मौसम में भी पतझड़ ..
जरूर आएँ..

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संगीता आंटी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद शेखर सुमन जी..!!