Saturday, January 30, 2010
'हम दोनों के बीच..'
...
"यादों का पुलिंदा..
मिलता नहीं आज-कल..
बैठा है रूठ कर..
नीम की डाल पर..
जब भी पुकारो..
कहता है..
कल आऊँगा..
माज़ी मिला था उस रोज़..
चौराहे पर..
नज़रें टकरायीं..
सिरहन उठी..
सुलगी साँसें..
थरथराये जिस्म..
भीगी आहें..
रुक गयी हो क़ायनात..
दफातन..
फिज़ा रंगीन हो गयी..
जैसे..
उम्मीदें परिंदे बन गयीं..
जैसे..
सरहदें मिल रहीं हों..
जैसे..
तन्हाईयाँ फफक रहीं हों..
जैसे..
तहखाने में दबे जज़्बात..
रौशन हो गए हैं ना..
चलो..
अब मान भी जाओ..
बस जाओ ना..
रूह में..
फिर से..
कोई नहीं आयेगा..
हम दोनों के बीच..!"
...
4 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:
kamal ki rachna
aapne man ko chune wali rachna apne post par dala hay
achchhi rachna ke liye badhai
यादों का पुलिंदा पुकारेगा इस कदर तो कौन न लौट आया होगा मार्मिक अपील ....!!
wow!! very heart touching poetry..
धन्यवाद smsinhindi.com जी.!!
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