Thursday, January 27, 2011

'अक्स हूँ..'




...


"ना लौटा सकोगे कभी चाहत मेरी..
ना मिटा सकोगे कभी इबादत मेरी..

अक्स हूँ जुदा हो जाऊं..मुमकिन नहीं..!!"


...

5 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

केवल राम said...

सच में चाहत को लौटना बहुत कठिन है ...जितना आसान चाहना है ..उससे कहीं अधिक उसे निभाना है ...बहुत सुंदर ...आपका आभार

केवल राम said...

बहुत देर तक आपके ब्लॉग को पढ़ा ...आपकी प्रत्येक रचना एक गहरा सन्देश देती है ....आशा है आप अनवरत रूप से लिखना जारी रखेंगे ....शुभकामनायें

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद केवल राम जी..!!

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद संजय भास्कर जी..!!

नीलांश said...

nice...
keep writing