Monday, January 31, 2011

'वज़ूद बिखरा-बिखरा..'


...


"आज आपको..
यूँ ही दफ़तन..
हाल-ए-दिल..
लिखना चाहा..

कलम होती..
गर..
थम जाती..

ज़ुबां होती..
ज़म जाती..

रूह होती..
सुलग जाती..

शज़र लिपटे..
दरख्त छलके..

महबूब-ए-जुदाई..
वज़ूद बिखरा-बिखरा..!!"

...

2 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

punjabi by nature said...

आपके विचार बहुत खूबसूरत हैं, मैं उमीद करता हूँ की आपका दिल भी उतना ही खूबसूरत है और आत्मा भी| ऐसे ही लिखते रहिए शायद आपके बारे में जानने का और कुछ मौका मिले|

एक मुसाफिर

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद दिवाकर गर्ग जी..!!