Monday, January 17, 2011

'ख्व़ाब बेशुमार..'


...


"बिसात-ए-इश्क समझेंगे क्या..
वादा-ए-वफ़ा समझेंगे क्या..

गर्द निगल गया..ख्व़ाब बेशुमार..!!"


...

6 ...Kindly express ur views here/विचार प्रकट करिए..:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर शेर प्रस्तुत किया है आपने!

Shekhar Suman said...

वाह....बहुत खूब....

निर्मला कपिला said...

vaah kyaa baat hai---

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद मयंक साहब..!!

अविनाश वाचस्पति said...

ख्‍वाबों को तो संभाले रखिएगा। मीडियोकर्मियों को संबोधित करते हुए हिन्‍दी ब्‍लॉगिग कार्यशाला में अविनाश वाचस्‍पति ने जो कहा

priyankaabhilaashi said...

धन्यवाद अविनाश वाचस्पति जी..!!